महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का मिलन : प. शिव लहरी गौतम।
आस्था और विश्वास के साथ भागवत प्राप्ति आवश्यक है : प. शिव लहरी गौतम।
भजन तो सुन मुरली की तान दौड़ आई सांवरिया पर श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।
कुरुक्षेत्र, 2 मार्च : देश के विभिन्न राज्यों में संचालित श्री जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी की प्रेरणा से ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ परिसर में श्री दुर्वासा नाथ सत्संग मंडल के तत्वावधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में छठे दिन भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी के विवाह का आयोजन किया गया। व्यासपीठ से कथावाचक प. शिव लहरी गौतम ने कहा कि पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं, जो भी ठाकुर जी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है।
कथा व्यास ने भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, ऊधव गोपी संवाद, उद्धव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणि विवाह के प्रसंगों को संगीतमय भावपूर्ण सुनाया। प. गौतम ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है। कथा में भजन तो सुन मुरली की तान दौड़ आई सांवरिया पर श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे। उन्होंने कहा कि आस्था और विश्वास के साथ भागवत प्राप्ति आवश्यक है। भागवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी है। प. गौतम ने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। इस दौरान श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कथा आरती की गई और प्रसाद वितरण किया गया। रमेश नुवाल, किशन गोपाल सोमानी, दुर्गाशंकर मंत्री, रतन आसावा, भगवान आगसूड, जयप्रकाश कांटिया, वासुदेव कहालियां, बृजमोहन हल्दिया, नेवा लाल गुर्जर, हरिशंकर न्याति, गिरिराज आगीवाल, रामप्रसाद नामधरानी, शंकरलाल, नारायण झंवर, शुभकरण गगरानी, रमेश शर्मा, छोटे लाल शर्मा, राजेंद्र पाठक व अनेक भक्तगण कथा में मौजूद रहे।
व्यासपीठ पर कथा वाचक प. शिव लहरी गौतम एवं श्रद्धालु। आरती करते हुए श्रद्धालु।