जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं सभी दलों में रोज एक नई ही खलबली मच जाती है l फिलहाल अगर बात करें कांग्रेस या भाजपा की और तो और आम आदमी पार्टी में भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है l हरेक दल में बहुत से नेता टिकट पक्का होने का दम भर रहे हैं l लेकिन अब जब कि कई नेताओं ने टिकट ना मिलने की स्थिति में निर्दलीय भी चुनावी समर में उतरने का ऐलान करके राजनीतिक पार्टियों में दबाव बनाने की कोशिश करना शुरू कर दिया है तो ऐसे में लोग सारा दिन हर गली मोहल्ले में यही क्यास लगाते सुने जा सकते हैं कि इसको टिकट मिलेगा उसको टिकट मिलेगा l इतने सारे टिकट के चाहवान जोगिन्दर नगर में उभरने का मुख्य कारण किसी भी दल के पास स्थापित नेतृत्व का ना होना है l चाहे भाजपा की बात करें तो चार दशक तक करीब करीब एक छत्र राज करने वाले ठाकुर गुलाब सिंह की पिछली बार हार होना और आजाद प्रत्याशी प्रकाश राणा के द्वारा भाजपा को समर्थन देकर शुरू से ही पिछले पाँच सालों की भाजपा सरकार में कबीना मंत्रियों से लेकर मुख्यमंत्री तक के कार्यक्रम अपनी रहनुमाई में करवाना और हर मंच में भाजपा प्रत्याशी रहे गुलाब सिंह को खरी खोटी सुनाकर जनता की नजरों में उनकी छवि धूमिल कर दी है l सरकार के अंतिम दो महीनों में प्रकाश राणा ने भाजपा में शामिल होकर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम करवा कर जनता में यह संदेश भी पहुँचा दिया कि अगला भाजपा का टिकट उनका ही है l लेकिन अब जब जोगिन्दर नगर की भाजपा काफी कोशिशों के बावजूद भी प्रकाश राणा को अपना नेता मानने को तैयार नहीं है तो वह दुविधा में पड़ गए हैं कि निर्दलीय चुनाव लड़ा जाए या भाजपा के टिकट की कोशिश की जाए l वहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी सरगर्म हुए हैं तो गुलाब सिंह समर्थकों को भी एक आस जगी है l वहीं बात करें कांग्रेस की तो जहां प्रदेश में इसकी सरकार बनने के आसार नज़र आ रहे हैं मगर जोगिन्दर नगर में इसका कोई लाभ मिलता या खुद कांग्रेस भी इसका लाभ लेने के मूड़ में नहीं दिख रही l कांग्रेस आज भी स्थापित नेतृत्व के अभाव में छिन्न भिन्न ही नज़र आती है l जो नेता यहाँ पर टिकट के प्रबल दावेदार माने जाते हैं वो जनता के बीच दिखते ही नहीं हैं और जो दूसरी पंक्ती के नेता भी अब पहली पंक्ती में होने और टिकट पक्का होने का दावा करते हैं वे भी कहीं किसी दुकान में चार ग्राहक देख कर फोटो खिचवाते हैं और फेसबुक में डाल कर इसे ही पार्टी के प्रचार की संज्ञा दे देते हैं इसलिये इनको कोई भी गंभीरता से नहीं लेना है l साफ शब्दों में कहा जाए तो पूर्व विधायक सुरेंदर पाल आज से बीस वर्ष पहले विधान सभा पहूँचने में कामयाब हुए थे क्यूँकि उस वक्त राजा वीरभद्र का जादू प्रदेश में चलता था और जोगिन्दर की जनता ने गुलाब सिंह को हराने का पक्का मन बनाया था क्यूँकि वह कांग्रेस के टिकट से जीत कर भाजपा की सरकार बनवा कर विधान सभा अध्यक्ष बन गए थे तो कांग्रेस उसका बदला लेना चाहती थी तो उस वक्त की भाजपा भी उनको पचा नहीं पा रही थी l सुरेंदर पाल उसके बाद लगातार दो चुनाव हारे और तीसरी बार टिकट कट गई और पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते छ: साल के लिये पार्टी से निष्कासित किये गए तो उनके भी टिकट की संभावना केन्द्रीय चुनाव समिति के पास से आ पाना संभव नहीं दिख रहा l पिछली बार के प्रत्याशी जीवन लाल जमानत जब्त होने की सीमा से भी आधे ही वोट उठा पाए थे और ऐसा कोई करिष्मा इन पाँच सालों में भी नहीं कर पाए कि लोग उनको गंभीरता से लेते और नेता मानते l वहीं राकेश चौहान भी अपने साथ लोग जोड़ने में नाकामयाब ही दिख रहे हैं l वहीं बड़ी बात कि ये तीनों ही नेता पिछले पाँच सालों में एक भी जनसभा नहीं करवा पाए जिससे इनकी राजनीतिक गंभीरता नज़र आती और जनता इनके साथ है यह संदेश जा पाता बल्कि कई मौकों में ऐसे अवसर आए भी तो इन सब ने इससे भागने की ही कोशिश की जो दर्शाता है कि जनबल इनके पास नहीं है l कांग्रेस का एक युवा नेता नरेश खनौड़िया जरूर समय समय पर पार्टी के पक्ष में बड़ी बैठकें करवाने में सफल रहा चाहे लोक सभा उप चुनाव रानी प्रतिभा सिंह का हो चाहे और भी किसी नेता या हाल ही में विक्रमादित्य सिंह की एक बड़ी जन सभा हो उसने जरूर जनता के बीच में जरूर सुर्खीयां बटोरी हैं l जब कांग्रेस ने अपना सदस्यता अभियान चलाया था तो उसमें भी नरेश खनौड़िया ने शायद पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा पाँच हजार सदस्य कांग्रेस के साथ जोड़े थे l उससे भी वह प्रदेश स्तर पर काफी सुरखियों में आए थे l चौंतड़ा के सैंथल पंचायत से पिछली बार वह अपनी धर्मपत्नी लीला देवी को पंचायत प्रधान तो इस बार ढेलू वार्ड़ से जिला परिषद बनवाने में भी कामयाब रहे हैं l वहीं जब इस बार के लोक सभा उपचुनाव में उनको करीब बीस पंचायतों की जिम्मेवारी दी गई थी तो वह पिछली बार के मुकाबले लगभग सभी बूथ में रानी प्रतिभा सिंह को लीड दिलवाने में कामयाब रहे जबकि पूरे जोगिन्दर नगर से करीब सात हजार की लीड भाजपा की रही थी l अगर कांग्रेस ऐसे अपने नौजवान कार्यकर्ता को टिकट देती तो हार जीत क्या होता पता नहीं पर आगे के लिये नेतृत्वविहीन कांग्रेस को एक अच्छा नेता जरूर मिल जाता l मजे की बात यह भी थी कि जिस चौंतड़ा जोन से वो आते हैं वहां से और कोई दावेदार किसी भी दल का नहीं है और वहां की 30-35 पंचायतों में तो उनका बहुत ही अच्छा प्रभाव है और जीत का मार्जीन वो वहीं से अपना तय कर सकते थे l चौंतड़ा जोन कभी विधायक नहीं बन पाया तो इस बार लोगों में अपने इलाके से अपना विधान सभा प्रतिनिधि चुनने का भी काफी उत्साह दिख रहा है l