शीर्षक- दुविधा
यूं तो मेरी सभी टीचर्स निराली,
सबके अपने गुण।
किसी ने कहा मुझसे,
तू किसी एक को चुन।
मैं कैसे किसी एक को चुन्नू?
अब आप ही बताइए,
मेरे साथ यह दुविधा सुलझाइए।
अपूर्वा मैम आपने हमें सलाह दी,
काउंसलिंग कर एक नई राह दी।
जर्मन का नाम सुनते ही आते थे चक्कर,
सब आ गया समझ हरजीत नाम से पढ़ कर।
एक्सेल और फॉर्मेटिंग का ऐसा जादू चलाया,
जसप्रीत मैम आपने सब बड़ी आसानी से दिमाग में बिठाया।
रंगों से खेलना हमें सिखाया,
सपना मैम आपने हमें आर्टिस्ट बनाया।
विशाल सर ने खेलना व केशव सर ने गाना सिखाया,
हमें एक्टिविटीज में भी अच्छा बनाया।
बबीता मैम आपने किताबें पढ़ना सिखाया,
हमारे ज्ञान को और बढ़ाया।
इंग्लिश में नाउन से लेकर लेटर राइटिंग तक पहुंचाया,
ईरा मैम आपने हमें अंग्रेजी में सक्षम बनाया।
हिस्ट्री, पॉलिटिकल साइंस ,ज्योग्राफी सब मे थी कन्फ्यूजन,
कमलदीप मैम आप ने दिए सभी सलूशन।
अलजेब्रा से इक्वेशन तक सब कुछ करवाया,
प्रियंका मैम आपने हर सवाल हल करना सिखाया।
बैलेंस करवाया हर इक्वेशन को,
प्रतिभा मैम आपने सिंपल बनाया हर क्वेश्चन को।
पत्र लेखन पर्यायवाची सभी को लगाते थे अभी तक बिंदी,
पूनम मैम आपने कितनी अच्छी कर दी हमारी हिंदी।
पंजाबी को आसान बनाया,
इंदरजीत मैम अपने सब अच्छे से समझाया।
आप ही के मार्गदर्शन से चलता है यह स्कूल,
माफ कर देना प्रिंसिपल मैम अगर हो गई मुझसे कोई भूल।
मै ना सुन सकती किसी एक को,
करती हूं ऐलान।
सभी पसंद मुझे,
सबकी अलग पहचान।