दैनिक आवाज जनादेश – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र मिशन के संस्थापक आचार्य श्रील प्रभुपाद का त्रिवर्ष व्यापी 150 वां जन्मोत्सव एवं विश्व वैष्णव सम्मेलन के आयोजन अवसर पर भव्य नगर संकीर्तन शोभायात्रा का आयोजन किया गया। इस शोभा यात्रा का शुभारंभ थानेसर विधायक सुभाष सुधा ने किया। यह शोभा यात्रा श्री व्यास गौड़ीय मठ से आरम्भ होकर बिरला मंदिर सीकरी चौक, अंबेडकर चौक, अर्जुन चौंक होती हुई श्री व्यास गौड़ीय मठ पहुंची। इस शोभायात्रा में विभिन्न प्रकार की झांकियां एवं संकीर्तन मंडलियां भी आकर्षण का केंद्र रही।
विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि श्रील प्रभुपाद का दिव्य आविर्भाव 6 फरवरी 1874 को श्रीधाम पुरी में नारायण छाता (वर्तमान में श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, बडदाण्ड, पुरी के रूप में जाना जाता है) में हुआ था एवं उनका दिव्य धाम के लिए आरोहण 1 जनवरी 1937 को बाग बाजार, कोलकाता में हुआ था। गौडीय मिशन द्वारा श्रील प्रभुपाद के 150 वें जन्मोत्सव को 3 वर्षों (2022 2025 तक मनाया जा रहा है भारत के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने इस त्रिवर्षीय समारोह का 20 फरवरी 2022 को श्री जगन्नाथ पुरी में शुभ उद्घाटन किया। इसी श्रृंखला में द्वितीय कार्यक्रम गौड़ीय मिशन की अन्यतम शाखा श्री व्यास गौड़ीय मठ, ब्रह्मसरोवर कुरुक्षेत्र में 24 अगस्त से 26 अगस्त 2022 तक अनुष्ठित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि श्रील प्रभुपाद या श्रील भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी प्रभुपाद, गौड़ीय मिशन के संस्थापक है उन्होंने देव वर्णाश्रम धर्म की स्थापना करके वैष्णवों को एक संगठनात्मक रूप प्रदान किया। पुनरुत्थानवाद के युग में वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने यह प्रमाणित किया कि श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा प्रतिपादित भागवत धर्म या शुद्ध सनातन धर्म एक साम्प्रदायिक धर्म नहीं है बल्कि ये जीवों के लिए शान्ति, प्रेम एवं समरसता का प्रकाश है। गौड़ीय मिशन इस दिव्य आत्मा को सच्ची श्रद्धांजली देने जा रहा है जो भारतीय सोच को यूरोपीय देशों में ले जाने वाले प्रथम व्यक्ति थे प्रभुपाद ने न केवल विश्वभर में 64 मठ केन्द्रों की स्थापना की बल्कि वे उज्जवल अनुयायियों द्वारा अनुगमन किए गए जिनमें पंडितों आम जन समूहों, राजाओं, महाराजाओं से लेकर युरोपीय बुद्धिजीवी तक शामिल थे। उनके द्वारा प्रतिपादित संदेशों ने भारत के कुछ प्रख्यात हस्तियों को भी प्रभावित किया जैसे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, मदनमोहन मालवीय, चक्रवर्ती राजगोपालाचार्य वे भारतीय दर्शन को मुद्रण व संचार के माध्यम से भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में हर दरवाजे तक पहुँचाने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति थे। इस मौके पर केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी, केडीबी सदस्य उपेंद्र सिंघल, देवी दयाल शर्मा, सुरेश सैनी कुक्कू सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।