दैनिक आवाज जनादेश – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र, 17 अगस्त : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से सेवानिवृत्त पूर्व अध्यक्ष प्रो. के आर अनेजा ने शोध के क्षेत्र में बनाई नई पहचान है। प्रो. केआर अनेजा वर्तमान में भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) देहरादून के पीईजी के विशेषज्ञ के रूप में कार्य कर रहे हैं। निदेशालय की शैक्षणिक गतिविधियों के अनुसंधान एवं विकास में अहम योगदान व खरपतवार विज्ञान में विशाल अनुभव और ज्ञान के आधार अनेक बार प्रो. केआर अनेजा को सम्मानित किया जा चुका है।
प्रो. अनेजा दो राष्ट्रीय एजेंसियों यूजीसी और पर्यावरण और वन विभाग, सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त करने वाले उत्तरी भारत के स्थलीय और जलीय खरपतवारों की कवक जैव विविधता पर काम कर रहे हैं। भारत की एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी सेरू डीएफआईडी यूनाइटेड किंगडम के तहत कई नए और दिलचस्प कवक रोगजनकों की पहचान की गई है जो अच्छी जैव नियंत्रण क्षमता दिखाते हैं।
डॉ. अनेजा उल्लेखनीय कार्यों में तीन खरपतवार कांग्रेस घास (पार्थेनियम), जलकुंभी और हॉर्स पर्सलेन का प्रबंधन शामिल है। प्रो. अनेजा, जिन्होंने 10 पुस्तकें लिखी हैं जिसमें से 3 पुस्तकें संपादित की हैं और 2 नियमावली लिखी हैं, 172 शोध लेख प्रकाशित किए हैं। वे एमएसआई के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं तथा 2022 एमएसआई के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्डी, पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला में शिक्षण पदों के लिए राज्यपाल/कुलाधिपति के लिए नामित, और वर्तमान में कई अन्य पुरस्कारों के अलावा 5 वर्षों के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) के परियोजना विशेषज्ञ समूह के विशेषज्ञ सदस्य हैं। डॉ. केआर अनेजा की इन्हीं उपलब्धियों को देखते हुए भारतीय कृषि परिषद के महानिदेशक कृषि अनुसंधान भवन-द्वितीय, पूसा नई दिल्ली, द्वारा 31 जुलाई 2022 से 30 जुलाई 2025 तक 3 साल की अवधि के लिए आईसीएआर-वीड रिसर्च निदेशालय, जबलपुर की अनुसंधान सलाहकार समिति (आरएसी) के सदस्य के रूप में नामित किया गया है जो कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश के लिए गर्व की बात है।