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सेल्फी पॉइंट बने वन विभाग के हट्स, कोरोना काल से पूर्व हालदा जुब्बड़ में बनाए थे हट्स…

चौपाल, 9 अगस्त, 2022

चौपाल:चूड़धार जाने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सरांह के निकट हालदा जुब्बड़ में वन विभाग द्वारा बनाए गए हट्स अब मात्र शोपीस बनकर रह गए है। वन विभाग चौपाल द्वारा इन हट्स का निर्माण कार्य कोरोना काल से पूर्व शुरू किया था। लेकिन उसके बाद इसकी तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया गया। ऐसे में अभी तक न तो इसका लुत्फ श्रद्धालु उठा पाए है और न ही वन विभाग अपने मकसद पर खरा उतर सका है। हालांकि वन विभाग दावा कर रहा है कि इस अधूरे कार्य को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन निकट भविष्य में दूर दूर तक ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। हां, इतना जरूर है कि ये हट्स अब लोगों की सेल्फियों में जरूर नजर आते है। उल्लेखनीय है कि चूड़धार जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए हालदा जुब्बड़ एक सबसे बेहतरीन सेल्फी पॉइंट बनकर उभर रहा है। प्रकृति ने सुंदरता को यहां पर दोनों हाथों से बिखेरा है। चौपाल की तरफ से चूड़धार जाने वाले रास्ते पर सरांह के निकट यह स्थान है। यहीं से चूड़धार के लिए सड़क भी गुजरती है। इस कारण आने जाने वाले यात्री इस खूबसूरती को अपनी यादों के कैमरों में कैद कर लेते है। चौपाल के बाद और चूड़धार से पूर्व यह एक ऐसा स्थान है जहां की खूबसूरती देख लोगों की सारी थकान उतर जाती है। देवदार के जंगल के बीचों बीच बने इस स्थान के बगल से गुजरने वाली एक छोटी नदी इसकी खूबसूरती को चार चांद लगा देती है। लेकिन विडंबना इस बात की है कि इतना खूबसूरत यह स्थान अभी भी सरकार की नजर से कोसो दूर है। कोरोना काल से पूर्व हालांकि वन विभाग चौपाल ने थोड़ी हिम्मत करके यहां पर छोटे छोटे हट्स बनाने की कवायद तो शुरू की थी, लेकिन अब यह भी ठंडे बस्ते में है। जनश्रुति के अनुसार हालदा जुब्बड़ के नाम के साथ इतिहास भी जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि मां रेणुका का स्थान पहले यहीं पर बनाया जा रहा था। लेकिन बिजट महाराज और चूड़धार के अलावा मां रेणुका का यह तीसरा स्थान होना था। तीनों स्थान पास पास न हो इसलिए रेणुका जी का स्थान सिरमौर में बनाया गया। दूसरी बड़ी बात यह कि यह स्थान पानी से भरा हुआ है। मैदान के एक छोर पर केवल 2 से 3 पानी के चश्मे है। लेकिन मैदान से आगे पूरी नदी निकलती है। इस जमीन के नीचे इतना पानी कहां से आया यह आज तक मालूम नहीं है। कहा जाता है कि एक बार इसमें एक भैंस भी डूब गई थी, जिसे ग्रामीणों की सहायता से बाहर निकाला गया। अधिक नमी और दलदल होने के कारण इस जगह का नाम हालदा यानी हिलता हुआ जुब्बड़ रखा गया था। इन दिनों चूड़धार की यात्रा जोरों पर है और प्रतिदिन सैकड़ों यात्री आवाजाही कर रहे है। ऐसे में यदि इस स्थान की तरफ सरकार या वन विभाग गौर करें तो यह श्रद्धालुओं के ठहराव की पहली पसंद बन सकता है।

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