कहा जाता है कि हर शख्स एक विशेष प्रतिभा से संपन्न होता है जरूरत उसे पहचानने और तराशने की है और जो ऐसा कर पाता है उसे दुनिया सलाम करती है। ऐसे ही एक नहीं बल्कि कई प्रतिभा के धनी हैं रंजीत । जिनका नाम स्टाम्प से पोट्रेट बनाने के लिए पिछले सप्ताह इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ है। यही नहीं रणजीत एक और प्रतिभा है जिसने इन्हें हिंदी या अंग्रेजी के शब्दों को उल्टे वो भी उर्दू की तरह दाएं से बाएं की तरफ लिखने में महारत हासिल है। यही नहीं इन उल्टे शब्दों को वह सीधी तरफ से ही नहीं बल्कि कॉपी को उल्टा करके भी लिखने में माहिर है। जो दर्पण में देखने पर या पेज के पिछले हिस्से पर देखने पर ही वह सीधे नजर आते हैं। यही नहीं जब वह एक तरफ से उल्टा लिखना शुरू करते हैं तो उनके सामने बैठे आदमी को है सभी अक्षर सीधे दिखाई देते हैं जिन्हें सामने वाला आराम से पढ़ सकता है और लिखने की गति इतनी सीधा लिखने वाला भी हैरान रह जाए। रंजीत केंद्रीय विद्यालय घुमारवीं में शिक्षक के पद पर तैनात हैं और इनके अंदर गजब का टैलेंट है हाल ही में इन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने अपनी किताब में स्थान दिया है और हैरानी की बात है कि यह उनकी राइटिंग स्किल के लिए नहीं बल्कि एक और दूसरे स्किल के लिए मिला है। जी हां आमतौर पर स्टाम्प का प्रयोग ऑफिशियल काम के लिए किया जाता है लेकिन इसका प्रयोग करते हुए रंजीत ने डॉक्टर अंबेडकर का पोर्ट्रेट बनाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाया है।
इनकी कला शिक्षा देश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय बीएचयु बनारस तथा हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में हुई है ।यही नहीं इन्हें कला के क्षेत्र में टेंपल इन आर्ट फाउंडेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। वैसे रंजीत कुमार बिहार के एक छोटे से गांव बेरकप के रहने वाले हैं लेकिन 2017 से घुमारवीं स्थित केंद्रीय विद्यालय में कला शिक्षक के पद पर तैनात हैं । रंजीत ने इस कला को सिर्फ अपने तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि केंद्रीय विद्यालय घुमारवीं के करीब 200 बच्चों को इस प्रतिभा का धनी बना दिया। स्कूल के अधिकतर बच्चे अब इस कला में माहिर हो गए हैं। बच्चों की उल्टी लिखने की क्षमता को देखकर कोई भी अपने दांतो तले उंगली दबा लेगा ।क्योंकि बच्चे इतनी तेजी से इन उल्टे शब्दों को उल्टी कॉपियों पर लिख लेते हैं जितना आमतौर पर साधारण बच्चा सीधे अक्षरों को नहीं लिख पाता है ।बच्चों का कहना है कि जबसे उन्होंने इस कला को सीखा है उनके अंदर गजब का कंसंट्रेशन आया है तथा एक ही वक्त में कई कामों को एक साथ करने की क्षमता में भी भरपूर फायदा हुआ है ।रंजीत के अनुसार इस सब के लिए बहुत एकाग्रता की जरूरत होती है और वह कई सालों से इस पर मेहनत करने के बाद इस कला में माहिर हो पाए हैं।