बैठक को संबोधित करते हुए जिला अध्यक्ष नरेंद्र ने ने कहा कि सरकार मिड डे मील वर्कर की अनदेखी कर रही है। मिड डे मील वर्कर का वेतन मात्र 2600 रुपए है जो की न्यूनतम वेतन से कम है। 86 रुपए दिहाड़ी देकर सरकार मिड डे मील वर्कर को सरकार शर्मिंदा कर रही है। इतने रुपए में परिवार चलाना मुश्किल है। दूसरे स्कीम वर्कर के वेतन में हर वर्ष बढौतरी हो रही है लेकिन मिड डे मील वर्कर की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मनरेगा में भी लोग 200 रुपए दिहाड़ी लेते हैं। मिड डे मील वर्कर को सिर्फ 10 महीने का वेतन मिलता है।
जबकि ये सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्णय की अवमानना है। दुख की बात ये है सरकार मिड डे मील को 12 मिलने वाले वेतन के कोर्ट के निर्णय के खिलाफ फ़िर कोर्ट गई है। इस से साफ झलकता है को सरकार मिड डे मील वर्कर के खिलाफ काम कर रही है। सरकार न्यूनतम वेतन लागू करने के लिए तैयार नहीं है। स्कूलों में मल्टी टास्क वर्कर की भर्ती की जा रही है जिसमें मिड डे मील को प्राथमिकता मिलनी चाहिए ।